जैव अणु
⇒रसायन
शास्त्र की वह शाखा जिसके अंतर्गत सजीवों के द्वारा प्रयोग में लाये जाने वाले
रसायनिक पदार्थों के बारे में अध्ययन किया जाता है,जैव अणु कहलाता है।
*कार्बोहाइड्रेट :-पॉलीहाइड्रॉक्सी ऐल्डीहाइड अथवा कीटोन या वैसे
कार्बनिक यौगिक जिसका जल अपघटन कराकर ग्लूकोज एवं फ्रुक्टोज जैसे यौगिकों में
परिवर्तित किया जा सकता है ,कार्बोहाइड्रेट कहलाता है।
जैसे :-शुक्रोज ,लेक्टोज। माल्टोज ,स्टार्च
इत्यादि
➤कार्बोहाइड्रेट का स्वाद मीठा होता है,जिसके
कारण इसे सैकेराइड्स भी कहा जाता है।
➥कार्बोहाइड्रेट मुख्यतः तीन प्रकार के होते है :-
1. मोनो सैकेराइड्स
2. ओलिगो सैकेराइड्स
3. पॉली सैकेराइड्स
1. मोनो सैकेराइड्स :-वैसा कार्बोहाइड्रेट जिसका जल अपघटन कराकर उसे
और छोटे कार्बोहाइड्रेट में नहीं बदला जा सकता है,मोनो सैकेराइड्स कहलाता है।
जैसे :-Glucose ,Fructose ,Rhamnose
2. ओलिगो सैकेराइड्स :-वैसा कार्बोहाइड्रेट जिसका जल अपघटन कराकर दो
से दस मोनो सैकेराइड्स में बदला जा सकता है,ओलिगो सैकेराइड्स कहलाता है।
जैसे :-शुक्रोज ,लैक्टोज ,माल्टोज इत्यादि
3. पॉली सैकेराइड्स :-वैसा कार्बोहाइड्रेट जिसका जल अपघटन कराकर दस
से अधिक मोनो सैकेराइड्स में बदला जा सकता है ,पॉली सैकेराइड्स कहलाता है।
जैसे :-सेल्यूलोज ,स्टार्च ,ग्लाइकोजेन इत्यादि
➤फलों में सबसे अधिक मात्रा में पाए
जाने वाला कार्बोहाइड्रेट Fructose है,अतः इसे फल शर्करा भी कहा जाता है। किन्तु
अंगूर में सबसे अधिक मात्रा में Glucose उपस्थित रहता है।
➤कार्बोहाइड्रेट का स्वाद प्रायः मीठा
होता है ,किन्तु Fructose
सबसे मीठा कार्बोहाइड्रेट है जबकि Cellulose सबसे
कम मीठा कार्बोहाइड्रेट है।
➤प्राकृतिक में सबसे अधिक मात्रा में
पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट Cellulose है।
➤पेड़-पौधा की कोशिका भित्ति एवं
जीवाणुओं की कोशिका भित्ति Cellulose की बनी होती है।
➤जीवों में सबसे अधिक मात्रा में पाये
जाने वाला कार्बोहाइड्रेट Glycogen है। यह प्रायः मस्तिष्क एवं यकृत में मुख्य रूप
से उपस्थित रहता है।
➤Glucose ,Fructose ,Sucrose जैसे कार्बोहाइड्रेट का स्वाद मीठा होने के
कारण इसे शर्करा कहा जाता है,जबकि Cellulose
एवं Starch को शर्करा नहीं कहा जाता है।
*अपचायी शर्करा(Reducing Sugar) :-वैसा कार्बोहाइड्रेट जिसको टॉलेन्स अभिकर्मक या
फेहलिंग विलयन में मिलाने पर यह उसे अपचयीत कर देता है तो उसे अपचायी शर्करा कहा
जाता है।
जैसे :-Glucose ,Fructose ,Maltose ,Lactose इत्यादि
*अनपचायी शर्करा (Non-Reducing Sugar) :-वैसा कार्बोहाइड्रेट जो टॉलेन्स अभिकर्मक या
फेहलिंग विलयन को अपचयित नहीं कर पाता है,अनपचायी शर्करा कहलाता है।
जैसे :- Sucrose
➤Glucose में काइरल कार्बन परमाणु की संख्या 4
होती है ,जबकि Fructose
में काइरल कार्बन की संख्या 3
होती है।
*प्रतिलोम शर्करा(Invert Sugar) :-जब सुक्रोज शुष्क अवस्था में होता है तो यह PPL को
घड़ी की सुई की दिशा में घूमता है,जबकि इसका जल अपघटन करा देने पर यह ग्लूकोज और
फ्रुक्टोज में अपघटित हो जाता है। तथा ग्लूकोज 52.5˙ से घड़ी की सुई की दिशा में घूमता है
जबकि फ्रुक्टोज 92.4˙ विपरीत दिशा में घुमा देता है। अतः इसका
परिणामी घूर्णन विपरीत हो जाता है इसलिए इसे प्रतिलोम शर्करा कहा जाता है।
➤पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाये
जाने वाला जैव अणु कार्बोहाइड्रेट है।
➤प्रकृति का सबसे छोटा कार्बोहाइड्रेट
ग्लीसरल्डिहाइड होता है।
सुक्रोज ⟶ ग्लूकोज + फ्रुक्टोज
लैक्टोज ⟶ ग्लूकोज + ग्लैक्टोज
माल्टोज ⟶ ग्लूकोज + ग्लूकोज
सेलुलोज ⟶ ग्लूकोज
स्टार्च ⟶ एमिलोज + ऐमिलोपेक्टीन
ग्लाइकोजेन ⟶ ऐमिलोपेक्टीन (इसमें ग्लूकोज मुख्य रूप से उपस्थित रहता है। )
➤किसी भी कार्बोहाइड्रेट में दो या दो से अधिक अणु एक दूसरे से ग्लाइकोसिडिक बंधन के द्वारा जुड़ा रहता है।
*प्रोटीन(Protrin)*
⇒∝-एमिनो अम्ल के बहुलक को प्रोटीन कहा जाता है।
➥एमिनो अम्ल
मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है।
1. अम्लीय
2. क्षारीय
3. उदासीन
1. अम्लीय :-इसमें अम्लीय समूह,क्षारीय
समूह की तुलना में अधिक होता है।
2. क्षारीय :-इसमें क्षारीय समूह,अम्लीय
समूह की तुलना में अधिक होता है।
3. उदासीन :-वैसा एमिनो अम्ल जिसमें अम्लीय समूह एवं
क्षारीय समूह समान होता है,उदासीन एमिनो अम्ल कहलाता है।
➤प्रोटीन में दो या दो से अधिक एमिनो
अम्ल पेप्टाइड बंधन के द्वारा जुड़ा होता है।
➥आवश्यकता के अनुसार प्रोटीन मुख्यतः दो प्रकार के होते है :-
i. अनावश्यक प्रोटीन :-वैसा प्रोटीन जिसका निर्माण शरीर में स्वतः
होता है तथा इसे भोजन के रूप में ग्रहण करने की आवश्यकता नहीं होता है ,अनावश्यक
प्रोटीन कहलाता है।
जैसे :-Glycine ,Throcine
ii. आवश्यक प्रोटीन :-वैसा प्रोटीन जिसका निर्माण शरीर में स्वतः
नहीं होता है। अतः इसकी आवश्यकता के लिए इसे बाहर से भोजन के रूप में ग्रहण किया
जाता है,आवश्यक प्रोटीन कहलाता है।
जैसे :-Valine ,Insuline ,Lucine
➥संरचना के आधार पर प्रोटीन दो प्रकार के होते है।
i. रेशेदार प्रोटीन :-एमिनो अम्ल के अनेक अणु एक दूसरे से पेप्टाइड
बंधन के द्वारा सीधी श्रृंखला में जुड़ जाता है,तो इस प्रकार बने प्रोटीन को रेशेदार प्रोटीन
कहा जाता है।
➤यह जल में अविलेय होता है।
जैसे :-किरेटिन (बालों में),मायोसीन
(मांसपेशियों में )
ii. गोलीय प्रोटीन :-जब एमिनो अम्ल के अनेक अणु साखित श्रृंखला में
जुड़ कर जिस प्रोटीन का निर्माण करता है,उसे गोलीय प्रोटीन कहा जाता है। इसकी संरचना Helix के
आकार की होती है।
➤यह जल में विलेय होता है।
जैसे :-Insulin ,Albumin
*प्रोटीन का विकृतिकरण :-प्रोटीन की संरचना Helix की
आकार की होती है,किन्तु उसके तप में परिवर्तन कर देने के कारण
या pH मान में परिवर्तन कर देने के कारण इसकी संरचना
टूट जाती है। जिससे पदार्थ द्रव से ठोस में बदल जाता है। अतः इस घटना को प्रोटीन
का विकृतिकरण कहा जाता है।
जैसे :-अंडा के द्रव को ठोस में बदलना तथा दूध से दही
का बनना।
*एंजाइम (Enzyme):- एंजाइम एक जटिल प्रोटीन है,जो
जैव रासायनिक क्रियाओं में उत्प्रेरक का कार्य करता है।
जैसे :-लैक्टोबेसिल ,माल्टेज ,पेप्सिन
,जाइमेज
,युरिएज
इत्यादि
*विटामिन(Vitamin)*
⇒वैसा
कार्बनिक पदार्थ जो एंजाइम की सहायता करके शारीर को नियंत्रण में रखता है तथा
उसमें वृद्धि प्रदान करता है,विटामिन कहलाता है।
➥विटामिन मुख्यतः दो प्रकार के होते है :-
i. वसा में विलय विटामिन -A ,D,E तथा
K
ii. जल में विलेय विटामिन -B तथा
C (B12 को छोड़कर)
➤विटामिन B12
में कोबाल्ट धातु उपस्थित रहता है।
➤विटामिन C का संचय हमारे शरीर में नहीं होता है,क्योकि यह जल में विलेय होता है। जिसके कारण यह जल के साथ घुलकर उत्सर्जन क्रिया द्वारा बाहर निकल जाता है।
*विटामिन की कमी से होने वालें रोग :-
विटामिन रोग
A (रेटिनॉल) → रतौंधी
B1 (थायमिन) → बेरी-बेरी (भूख न लगना,शरीर के वृद्धि में रूकावट)
B2 (राइबोफ्लेविन) → ओठ का फट जाना (फ्युलॉसिस)
B6 (पायरीडॉक्सीन) → शरीर
में जकड़न
B12 (कोबालामिन) → एनीमिया (रक्त की कमी)
C (एस्कॉर्बिक अम्ल) → मसूढ़ों से खून आनाा (स्कर्वी)
D → रिकेट्स (सुखड़ा रोग) बच्चों में
E → मांसपेशियों में कमजोरी
K → शरीर में रक्त का थक्का न बनना
➤किसी भी Parents से
उसके Child में गुणों का Transfer Chromosome के
द्वारा Zygote के रूप में होता है,क्योकि
Zygote एक कोशिका है जिसके नाभिक में एक कण उपस्थित
रहता है उसी कण को Chromosome कहा जाता है। यह Chromosome,Protien तथा Nuclic
Acid से मिलकर बना होता है।
➤वैसा यौगिक जिसमें शर्करा क्षार तथा फॉस्फेट एक साथ उपस्थित रहता है,उसे Nucliotide कहा जाता है। जबकि शर्करा और क्षार के समूह को Nucliocyte कहा जाता







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