Class 10th Chemistry Notes In Hindi
⇒जब अमोनिया से एक या एक से अधिक हाइड्रोजन परमाणुओं को किसी एल्काइल अथवा एराइल समूहों के द्वारा विस्थापित कर देने के बाद जो यौगिक बनता है,उसे ऐमीन कहा जाता है।
*I.U.P.A.C नामाकरण :-ऐमीन का I.U.P.A.C नाम
लिखते समय उसके एल्केन के नाम के अंत में 'ऐमीन ' प्रत्यय जोड़ा जाता है।
जैसे :-
*ऐमीन बनाने की विधि
i. नाइट्रोबेंजीन के अवकरण से :-जब नाइट्रो बेंजीन की अभिक्रिया Sn/Hcl अथवा
Fe/Hcl की उपस्थिति में कराया जाता है तो यह अवकृत
होकर ऐमीन में बदल जाता है।
जैसे :-
ii. एल्काइल साइनाइट के अवकरण से :-जब किसी एल्काइल साइनाइट का अवकरण H2/Pt या H2/Ni की
उपस्थिति में कराया जाता है तो यह अवकृत होकर Primary
ऐमीन
में बदल जाता है।
जैसे :-
iii. एल्काइल हैलाइड से :-जब अमोनिया की अभिक्रिया किसी एल्काइल हैलाइड के साथ कराई जाती है तो यह अभिक्रिया करके क्रमशः 1˙ ऐमीन ,2˙ ऐमीन तथा 3˙ ऐमीन का निर्माण कर लेता है।
iv. एमाइड के अवकरण से :-जब किसी एमाइड का अवकरण LiA/H4 की उपस्थिति में कराया जाता है तो यह अवकृत होकर Primary ऐमीन में बदल जाता है।
v. गैब्रियल थैलीमाइड संश्लेषण विधि :-जब थैलीमाइड की अभिक्रिया KOH के
साथ कराई जाती है तो यह अभिक्रिया करके पहले पोटैशियम का लवण बनाता है जिसकी
अभिक्रिया पुनः एल्काइल हैलाइड से कराने पर एल्काइल ग्रुप नाइट्रोजन से जुड़ा जाता
है जो,पुनः NaOH
के साथ मिलकर 1˙ ऐमीन का निर्माण कर लेता है।
➤इस विधि के द्वारा सिर्फ ऐलीफैटिक ऐमीन बनाया जा सकता है किन्तु ऐरोमैटिक ऐमीन का निर्माण नहीं किया जा सकता है ,क्योकि नाइट्रोजन अपने Lone Pair के साथ Direct रूप से Benzone से नहीं जुड़ता है।
vi. हॉफमैन ब्रोमाइड अभिक्रिया :-जब किसी एमाइड की अभिक्रिया ब्रोमीन के साथ NaOH की उपस्थिति में कराया जाता है तो यह अभिक्रिया करके एक कम कार्बन वाला ऐमीन में बदल जाता है।
*ऐमीन का भौतिक गुण
i. कम अणुभार वाले ऐमीन की गंध मछली की जैसी होती है किन्तु कार्बन की
संख्या बहुत अधिक हो जाने पर वह गंध हीन हो जाती है।
ii. एल्कोहल की तरह ऐमीन भी जल में विलेय होता है। परन्तु ऐमीन की तुलना में एल्कोहल जल में अधिक विलेय होता
है।
iii. 1˙,2˙ तथा 3˙ ऐमीन
में 1˙ (Primary) सबसे अधिक जल में विलेय होता है क्योकि इसमें H-बंधन
बनाने के लिए ज्यादा हाइड्रोजन उपस्थित रहता है।
iv. ऐमीन की प्राकृति क्षारीय होती है क्योकि ऐमीन में नाइट्रोजन के पास Lone Pair इलेक्ट्रॉन त्यागने की क्षमता होती है। जब कोई इलेक्ट्रॉन देने वाला समूह किसी ऐमीन के साथ जुड़ता है तो वह उसकी क्षारीयता को बढ़ा देता है। जब की इलेक्ट्रॉन खींचने वाला समूह किसी ऐमीन के साथ जुड़कर उसकी क्षारीयता को घटा देता है।
Q. मिथाइल ऐमीन की क्षारीयता अमोनिया से अधिक होती
है,क्योकि ?
⇒अमोनिया तथा मिथाइल ऐमीन दोनों में नाइट्रोजन के पास Lone Pair इलेक्ट्रॉन उपस्थित रहता है। किन्तु मिथाइल ऐमीन में नाइट्रोजन से इलेक्ट्रॉन प्रदान करने वाला समूह जुड़े होने के कारण यह उसके Lone Pair इलेक्ट्रॉन त्यागने की क्षमता को बढ़ा देता ही जिसके कारण मिथाइल ऐमीन अमोनिया से अधिक क्षारीय हो जाता है।
*ऐमीन का परीक्षण :-ऐमीन का परिक्षण मुख्यतः तीन प्रकार का होता
है।
1. कार्बाइल ऐमीन परीक्षण :-यह सिर्फ प्रथमिक ऐमीन का परीक्षण है ,क्योकि
द्वितीयक और तृतीयक ऐमीन या परीक्षण नहीं देता है।
जब किसी ऐमीन की अभिक्रिया क्लोरोफॉर्म के साथ KOH की उपस्थिति में कराया जाता है तो यह अभिक्रिया करके तीव्र गंध वाला आइसोसायनाइड बना लेता है।
2. ऐलीफैटिक तथा एरोमैटिक ऐमीन का टेस्ट :-जब किसी ऐमीन की अभिक्रिया NaNo2 तथा HCl के साथ कराई जाती है तो यह अभिक्रिया करके पहले डायजोनियम में बदलता है जिसकी अभिक्रिया जल से करा देने पर एलीफैटिक ऐमीन अल्कोहल बना लेता है,जबकि ऐरोमैटिक ऐमीन फिनॉल में बदल जाता है।
3. 1˙ ,2˙ तथा 3˙ ऐमीन का टेस्ट :-1˙ ,2˙ तथा 3˙ ऐमीन का टेस्ट हिंसवर्ग अभिक्रिया के द्वारा किया जाता है। इस अभिक्रिया में ऐमीन के साथ बेंजीन सल्फोनिल क्लोराइड मिलाया जाता है जो अभिक्रिया करके प्रतिफल बनाता है उसमें अम्लीय हाइड्रोजन उपस्थित होने के कारण यह क्षार में अविलेय होता है,किन्तु 2˙ ऐमीन जो प्रतिफल बनाता है वह क्षार में अविलेय होता है ,जबकि 3˙ ऐमीन बेंजीन सल्फोनिल क्लोराइड से अभिक्रिया नहीं करता है।
*ऐनिलीन फ्रीडल क्राफ्ट अभिक्रिया नहीं करता है,क्यों
?
⇒ऐनिलीन की प्राकृति क्षारीय होती है,किन्तु फ्रीडल क्राफ्ट अभिक्रिया में लुईस अम्ल का प्रयोग किया जाता है जो क्षार के साथ मिलकर लवण बना लेता है। जिसे एल्काइल ग्रुप रिंग पर नहीं जुड़ पाता है,यही कारण है की ऐनिलीन फ्रीडल क्राफ्ट अभिक्रिया नहीं करता है।
*ऐनिलीन का PKb मान
मिथाईल ऐमीन से अधिक होता है,क्यों ?
या,ऐनिलीन की क्षारीयता मिथाईल ऐमीन से कम होती है,क्यों
?
⇒ऐनिलीन में नाइट्रोजन के साथ इलेक्ट्रॉन खींचने वाला ग्रुप जुड़ा होता है ,जो उसकी क्षारीयता को घटा देता है जबकि मिथाईल ऐमीन में नाइट्रोजन के साथ इलेक्ट्रॉन प्रदान करने वाला ग्रुप जुड़ा होता है जो उसकी क्षारीयता को बढ़ा देता है। अतः यह कारण है की ऐनिलीन का PKb मान मिथाईल ऐमीन से अधिक हो जाता है।
*ऐमीन बनाते समय ग्रैबियल थैलीमाइड विधि को अधिक
प्राथमिकता क्यों दी जाती है ?
⇒ग्रैबियल थैलेमाइड विधि के द्वारा सिर्फ प्राथमिक ऐमीन का निर्माण होता है,क्योकि द्वितीयक और तृतीयक ऐमीन इस विधि से बनाया जाता है। इसीलिए प्राथमिक ऐमीन शुद्ध रूप में प्राप्त हो जाता है। अतः यही कारण है की ऐमीन बनाने के लिए ग्रैबियल थैलेमाइड विधि को अधिक प्राथमिकता दिया जाता है।
*एरोमैटिक डायजोनियम लवण ,एलीफैटिक
डायजोनियम लवण से अधिक स्थाई होता है,क्यों ?
⇒क्योकि
एरोमैटिक डायजोनियम लवण में अनुनाद की क्रिया होती है।
*युग्मन अभिक्रिया :-जब डायजोनियम लवण की अभिक्रिया फिनॉल के साथ कराई जाती है तो यह अभिक्रिया करके पाराहाइडॉक्सी डाइएजोबेंजीन बना लेता है। अतः इस अभिक्रिया को युग्मन अभिक्रिया कहा जाता है।
*उपयोग :-ऐमीन का उपयोग प्रोट्रीन के रूप में,विटामिन के रूप में ,एन्जाइम के रूप में ,औषधि के निर्माण में तथा बालों को रंगने में आदि में किया जाता है।
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