प्रकाश का वर्ण विक्षेपण तथा वर्णक्रम (Dispersion Of Light And Spectrum)

 Class12th Physics Notes In Hindi

प्रकाश का वर्ण विक्षेपण तथा वर्णक्रम (Dispersion Of Light And Spectrum)

 

*प्रिज्म (Prism):-वैसा पारदर्शी माध्यम जिसमें दो त्रिभुजाकार सतह और तीन आयताकार सतह होता है ,उसे प्रिज्म कहते है।

प्रिज्म में भुजाओं की संख्या पांच होती है।

*प्रिज्म कोण (Prism Angle):-दो अपवर्तक सतह के बीच बना कोण प्रिज्म कोण कहलाता है।

इसे A द्वारा सूचित किया जाता है।

*आधार (Base):-प्रिज्म कोण के सामने वाला भुजा आधार कहलाता है।

*विचलन कोण (Deviation Angle):-आपतित किरण को आगे की ओर तथा निर्गत किरण को पीछे की ओर बढ़ाने पर बना अल्प कोण को विचलन कोण कहते है।

इसे ઠ (डेल्टा) द्वारा सूचित किया जाता है।

*न्यूनतम विचलन की स्थिति(Case Of Minimum Deviation)

वैसा स्थिति जिसमें i1 = i2 तथा r1 = r2 बराबर हो ,उसे Case Of Minimum Deviation कहते है।

*विचलन कोण का मान किन-किन कारक पर निर्भर करता है :-

i. प्रिज्म के अपवर्तक कोण पर

ii. प्रिज्म के आपतित किरण के रंग पर

iii. आपतन कोण के मान पर

iv. प्रिज्म के पदार्थ पर

*किसी प्रिज्म द्वारा न्यूनतम विचलन की स्थिति में स्थापित करे कि,

या,प्रिज्म के अपवर्तनांक के लिए सूत्र स्थापित करें।

माना की ABC एक प्रिज्म है ,जिसका प्रिज्म कोण A है, PQ ,AB सतह पर आपतित किरण और RS निर्गत किरण है,और ઠ (डेल्टा) विचलन कोण है।

*प्रकाश का वर्ण विक्षेपण (Despersion Of Light):-जब श्वेत प्रकाश की किरण प्रिज्म पर डाली जाती है,तब वह सात रंगों में विभक्त हो जाती है ,इस घटना को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते है।

वर्ण विक्षेपण के फलस्वरूप श्वेत प्रकाश सात रंगों में विभक्त होती है। इस सभी रंगों को एक साथ वैजानिहपिनाला कहते है।

लाल रंग का तरंगदैर्द्य 7800 Á तथा बैंगनी का तरंगदैर्द्य 3900Á होता है।

7800Á से अधिक तरंगदैर्द्य वाले प्रकाश को अवरक्त प्रकाश कहते है। 

अवरक्त का खोज हैलसर नामक वैज्ञानिक ने किये थे।

3900Á से कम तरंगदैर्द्य वाले प्रकाश को पराबैंगनी प्रकाश कहेंगे।

इसका खोज रेटर नामक वैज्ञानिक ने किये थे।

लाल रंग का विचलन सबसे कम और बैंगनी का विचलन सबसे अधिक होता है।

लाल रंग के क्रांतिक कोण का मान सबसे अधिक और बैंगनी के लिए सबसे कम होता है।

लाल और बैंगनी के बीच बाले प्रकाश को दृश्य प्रकाश कहते है।

दृश्य प्रकाश का खोज न्यूटन नामक वैज्ञानिक ने किये थे।

जिस पर्दा पर सात रंग बनता है ,उसे वर्णपट कहते है।

वर्णपैट पर बिच का रंग हरा होता है।

*कोणीय वर्ण विक्षेपण (Angular Despersion)

दी निर्गत किरण के बीच बना कोण कोणीय वर्ण विक्षेपण कहलाता है।

*प्रिज़्मों का संयोजन :-दो या दो से अधिक प्रिज़्मों को जोड़ने की घटना प्रिज़्मों का संयोजन कहलाता है।

यह दो प्रकार से किये जाते है।

i. वर्ण विक्षेपण रहित विचलन

ii. विचलन रहित वर्ण विक्षेपण

*वर्ण विक्षेपण रहित विचलन का व्याख्या करें।

वैसा संयोजन वर्ण विक्षेपण की घटना नहीं होती है ,लेकिन विचलन की घटना होती है उसे वर्ण विक्षेपण रहित विचलन कहते है।

माना की क्राउन तथा फिलंट कांच का बना दो प्रिज्म है ,जिसका प्रिज्म कोण क्रमशः A तथा A1 है ,दोनों प्रिज़्मों को आधार विपरीत कर जोड़ी जाती है।

*विचलन रहित वर्ण विक्षेपण का व्याख्या करें।

प्रिज़्मों का वह समायोजन जिसमें विचलन की घटना नहीं होती है ,लेकिन वर्ण विक्षेपण की घटना होती है ,उसे विचलन रहित वर्ण विक्षेपण की घटना कहते है।

इसे Q द्वारा सूचित किया जाता है।

विचलन रहित वर्ण विक्षेपण को व्याख्या करने के लिए दो प्रिज्म लेते है। इसे इस प्रकार समायोजन किया जाता है की पहले प्रिज्म का आधार दूसरे प्रिज्म के विपरीत हो ,

*इंद्रधनुष

वर्षा के बाद सूर्य के विपरीत दिशा में जब आकाश को देखि जाती है,तो एक रंगीन पट्टी दिखाई देता है ,उस रंगीन पट्टी को इंद्रधनुष कहते है।

इंद्रधनुष मुख्यतः दो प्रकार के होते है।

1. प्रथम इंद्रधनुष

2. द्वितीयक इंद्रधनुष

*प्रथम इंद्रधनुष

वैसा इंद्रधनुष जिसमें ऊपर में लाल रंग तथा निचे में बैंगनी रंग दिखाई देता है,उसे प्रथम इंद्रधनुष कहते है।

प्रथम इंद्रधनुष में लाल रंग के साथ आँखों पर बना कोण 40˙ का होता है।

प्रथम इंद्रधनुषदो बार अपवर्तन तथा एक बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन के फलस्वरूप प्राप्त होता है।

*द्वितीयक इंद्रधनुष

वैसा इंद्रधनुष जिसके ऊपर बैंगनी रंग तथा निचे में लाल रंग होता है ,उसे द्वितीयक इंद्रधनुषकहते है।

द्वितीयक इंद्रधनुष में बैंगनी रंग के साथ आँखों पर बना कोण 53˙ और लाल के साथ 50˙ होता है।

द्वितीयक इंद्रधनुष दो बार अपवर्तन तथा दो बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन के फलस्वरूप प्राप्त होता है।

*प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering Of Light)

जब प्रकाश की किरण कोराईड आकार के कण पर पड़ती है ,तब प्रकाश किरणों को अवशोषित कर लेती है। अवशोषण के बाद उत्तेजित होकर स्वंय किरणों को उत्सर्जित करती है। इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है।

रैले नामक वैज्ञानिक के अनुसार जिस रंग का तरंगदैर्द्य अधिक होता है उसकी प्रकीर्णन कम होता है। तथा जिस रंग का तरंगदैर्द्य कम होता है ,उसकी प्रकीर्णन अधिक होती है।

*रैले का प्रमेय

प्रकाश का प्रकीर्णन तरंगदैर्द्य के चतुर्थ घात के व्युत्क्रमानुपाती होता है ,इसे ही रैले का प्रमेय कहते है।

जहाँ,K एक नियतांक राशि है ,इसका मान एक होता है।

*प्रकाश का प्रकीर्णन का दैनिक जीवन में उदाहरण :-

i. सुबह तथा शाम के समय सूर्य का रंग लाल दिखाई देना।

ii. आकाश का रंग नीला दिखाई देना।

iii. अंतरिक्ष यात्री को आकाश का रंग काला दिखाई देना।

iv. समुद्र का जल नीला प्रतीत होना।

Q.1  सुबह तथा शाम के समय सूर्य का रंग लाल दिखाई देती है,क्यों ?

रैले नामक वैज्ञानिक के अनुसार जिस रंग का तरंगदैर्द्य कम होता है ,उसकी प्रकीर्णन अधिक होती है। अर्थात लाल रंग का तरंगदैर्द्य अधिक होता है ,और इसका प्रकीर्णन बहुत कम हो जाता है ,इस कारण ही सुबह तथा शाम के समय सूर्य का रंग लाल दिखाई देता है।

Q.2 आकाश का रंग नीला दिखाई देता है,क्यों ?

रैले नामक वैज्ञानिक के अनुसार जिस रंग का तरंगदैर्द्य कम होता है ,उसकी प्रकीर्णन अधिक हो जाती है ,यही कारण ही बैंगनी ,जामुनी तथा नीला रंग का अधिकांश भाग आकाश में ही रह जाता है ,और यह नीला दिखाई देता है।

Q.3 अंतरिक्ष यात्री को आकाश का रंग काला दिखाई देता है ,क्यों ?

अंतरिक्ष में कोराईड आकार का कण नहीं पाए जाते है ,यही कारण प्रकीर्णन की घटना नहीं हो पाती और अंतरिक्ष यात्री को आकाश का रंग काला दिखाई देता है।

*वस्तुओं का रंग (Color Of Object)

जब किसी वस्तु को वस्तु के प्रकाश या श्वेत प्रकाश में देखि जाती है,तो इस अवस्था में वस्तु अपना ही रंग में दिखाई देता है।

जैसे :-

लाल वस्तु + लाल प्रकाश लाल

हरा वस्तु + हरा प्रकाश →  हरा

नीला वस्तु + नीला प्रकाश →  नीला

हरा वस्तु + श्वेत प्रकाश →  हरा

लाला वस्तु + श्वेत प्रकाश लाल

जब वस्तु को वस्तु के रंग से भिन्न प्रकाश में देखी जाये तो उस अवस्था में वह वस्तु काला दिखाई देता है। 

जैसे :-

लाल वस्तु + हरा प्रकाश काला

हरा वस्तु + पीला प्रकाश काला

नीला वस्तु + लाल प्रकाश काला

पीला वस्तु + बैंगनी प्रकाश काला

गुलाब का फूल + पीला प्रकाश काला

*प्रथम रंग (Primary Color)

लाल,हरा तथा नीला रंग को प्राथमिक रंग कहते है।

 दुनिया में सभी रंग प्रथम रंग से ही मिलकर बना है।

*द्वितीयक वर्ण

वे वर्ण जो प्रथम वर्ण से प्राप्त होते है ,उसे द्वितीयक वर्ण कहते है।

या,पीला। स्यान ,मैजेंटा को द्वितीयक वर्ण कहते है।

जैसे :-

लाल + हरा पीला

हरा + नीला शयन

लाल + नीला मैजेंटा

*सम्पूरक वर्ण :-जिन दो रंगों को मिलाने से श्वेत बनता है ,उसे सम्पूरक वर्ण कहते है।

अर्थात ,प्राथमिक और द्वितीयक रंग को मिलाने से श्वेत प्राप्त होता है।

जैसे :-

लाल + पीला श्वेत

पीला + हरा श्वेत

हरा + श्यान श्वेत

*स्पेक्ट्रो स्कोप

वैसा उपकरण जिसके सहारे सातो रंगों को स्पष्ट रूप से देखी जाती है ,उसे स्पेक्ट्रो स्कोप कहते है।

इसके सहारे शुद्ध वर्ण क्रम प्राप्त की जाती है।

*शुद्ध वर्ण क्रम :-वैसा वर्ण क्रम जो पर्दे पर सात रंग स्पष्ट रूप से दिखाई देती है ,उसे शुद्ध वर्ण क्रम कहते है।

*अशुद्ध वर्ण क्रम :-वैसा क्रम जिसमें सातों रंग स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता है ,प्रत्येक रंग एक दूसरे पर आच्छादित होते है। उसे अशुद्ध वर्ण क्रम कहते है।

यह प्रिज्म द्वारा प्राप्त किया जाता है।

Note :-शुद्ध वर्ण, स्पेक्ट्रो स्कोप के सहारे प्राप्त किये जाते है।

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